IndusInd Bank गड़बड़ी ने अपनी वित्तीय वर्ष 2023-24 की चौथी तिमाही (Q4) की रिपोर्ट में एक बड़ी गड़बड़ी का खुलासा किया है। बैंक ने माना है कि उसकी माइक्रोफाइनेंस डिविजन में ₹172.58 करोड़ की राशि को तीन तिमाहियों तक गलत तरीके से ‘फीस इनकम’ के रूप में दर्शाया गया।यह गलती वित्त वर्ष की पहली तीन तिमाहियों में हुई थी, जिसे चौथी तिमाही में सुधार किया गया। इसी वजह से बैंक को Q4 में ₹2328.92 करोड़ का शुद्ध घाटा हुआ।
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₹2328 करोड़ के घाटे की असली वजह: गलत तरीके से दिखाई गई इनकम!
बैंक की आंतरिक ऑडिट टीम ने 21 मई को इस गड़बड़ी का खुलासा किया। टीम ने पाया कि माइक्रोफाइनेंस डिविजन में कुछ कर्मचारियों द्वारा गैर-मान्य तरीके से फीस इनकम रिकॉर्ड की गई थी, जिससे बैंक की कमाई अधिक दिख रही थी।इस एरर को ठीक करते हुए Q4 में ₹172.58 करोड़ की राशि को वापस लिया गया, जिसके चलते इतना बड़ा घाटा दर्ज हुआ।
SEBI ने शुरू की जांच, किन नियमों का हुआ उल्लंघन?
SEBI के चेयरमैन तुहिन कांत पांडे ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि SEBI इस मामले में संभावित उल्लंघनों की जांच कर रहा है, विशेष रूप से यदि कोई “egregious violation” (गंभीर उल्लंघन) हुआ हो।हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह मामला RBI के अधिकार क्षेत्र में आता है, लेकिन SEBI अपनी सीमा में रहते हुए जांच कर रहा है, खासकर अगर इनसाइडर ट्रेडिंग या निवेशकों को गुमराह करने जैसी बातें सामने आती हैं।
IndusInd Bank गड़बड़ी RBI भी अलर्ट: अकाउंटिंग गड़बड़ी पर बैंक पर बढ़ी नजर
बैंकिंग प्रणाली की निगरानी करने वाले रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया है। RBI ने IndusInd Bank की अकाउंटिंग प्रैक्टिस और गवर्नेंस सिस्टम की डिटेल्ड जांच शुरू कर दी है।RBI यह जांच कर रहा है कि कहीं यह गड़बड़ी जानबूझकर तो नहीं की गई और इसमें शामिल अधिकारियों की भूमिका क्या थी।
CEO समेत बड़े अधिकारियों के इस्तीफे: जिम्मेदार कौन?
इस विवाद के सामने आने के बाद बैंक में उच्च स्तरीय इस्तीफे हुए हैं, जिनमें CEO का इस्तीफा भी शामिल है। यह दिखाता है कि बैंक की ऊपरी मैनेजमेंट भी इससे अछूती नहीं रही।हालांकि बैंक ने अभी तक उन कर्मचारियों के नाम सार्वजनिक नहीं किए हैं जिनपर शक है, लेकिन बताया गया है कि ये वे लोग हैं जो फाइनेंशियल रिपोर्टिंग और अकाउंटिंग प्रक्रिया में शामिल थे।
तीन तिमाहियों से चल रहा था हेरफेर, अब हुआ खुलासा
जानकारों के अनुसार, यह गड़बड़ी वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही से ही शुरू हो चुकी थी। लेकिन इसे लगातार अनदेखा किया गया और Q4 में जाकर इसका खुलासा हुआ।यह raises serious concerns कि इतनी बड़ी राशि को तीन तिमाहियों तक कैसे छिपाया जा सका।
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Q4 रिपोर्ट ने खोली पोल: माइक्रोफाइनेंस डिविजन में की गई गड़बड़ी
IndusInd Bank की माइक्रोफाइनेंस यूनिट, जो ग्रामीण और निम्न-आय वर्ग के ग्राहकों को लोन देती है, इस घोटाले की मुख्य केंद्रबिंदु रही है। यही यूनिट तीन तिमाहियों तक गलत इनकम दिखा रही थी, जिससे बैंक का मुनाफा बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया।
क्या IndusInd Bank गड़बड़ी इनसाइडर ट्रेडिंग का मामला है? SEBI की बारीकी से जांच
SEBI यह भी जांच कर रहा है कि इस गड़बड़ी के दौरान कहीं बैंक के शेयरों में इनसाइडर ट्रेडिंग तो नहीं हुई। अगर ऐसा साबित होता है, तो इसमें शामिल लोगों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
बैंक गवर्नेंस पर उठे सवाल, चेयरमैन ने क्या कहा?
IndusInd Bank के चेयरमैन सुनील मेहता ने कहा कि बोर्ड इस मुद्दे को बेहद गंभीरता से ले रहा है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि भविष्य में ऐसी गड़बड़ियां न हों, इसके लिए गवर्नेंस स्ट्रक्चर को और मजबूत किया जा रहा है।
30 जून तक नए CEO की नियुक्ति की तैयारी में बैंक बोर्ड
बैंक बोर्ड अब नए CEO की तलाश में है और 30 जून 2025 तक RBI को नए CEO का नाम प्रस्तावित करेगा। यह कदम बैंक की साख को बहाल करने और निवेशकों का विश्वास दोबारा जीतने के लिए उठाया जा रहा है।
निष्कर्ष:
IndusInd Bank गड़बड़ी ₹172 करोड़ की इनकम मिस-क्लासिफिकेशन ने बैंक की वित्तीय स्थिरता और छवि दोनों को गहरा झटका दिया है। SEBI और RBI की जांच से यह स्पष्ट है कि इस मामले को हल्के में नहीं लिया जा रहा है। आने वाले समय में इससे जुड़े और खुलासे हो सकते हैं, जो बैंकिंग सेक्टर के लिए बड़ी चेतावनी साबित हो सकते हैं।